गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार और श्रमण परम्परा

Authors

  • प्रोफेसर (डॉ0) साधना चतुर्वेदी, निरूपमा सिंह

Abstract

श्रमण परम्परा भारत की अति प्राचीन परम्परा मानी गयी है, यह परम्परा मानववादी, स्वतन्त्रता, समतावादी, अहिंसावादी, अनिश्वरवादी, कर्मवादी, नैतिकता, सद्चरित्रता व जियो और जीने दो में विश्वास करने वाली रही है। यह शोध पत्र गरिमापूर्ण जीवन के संवैधानिक अधिकार के मूल को श्रमण परम्परा में खोजने का प्रयत्न है। श्रमण परम्परा और गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार के मध्य एक सम्बन्ध अवश्य ही दिखाई पड़ता है। इसी सम्बन्ध के विषय में यह शोध पत्र व्याख्या करता है।
प्रमुख शब्द - श्रमण परम्परा, गरिमापूर्ण जीवन, समता, संस्कृति, श्रमण, समन, शमन

Additional Files

Published

30-09-2025

How to Cite

प्रोफेसर (डॉ0) साधना चतुर्वेदी, निरूपमा सिंह. (2025). गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार और श्रमण परम्परा. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(09), 59–63. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/947

Issue

Section

Research Paper