युवाओं के सतत विकास के लिए आजीवन शिक्षा का महत्वः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में

Authors

  • कोमल भारती, प्रोफेसर स्वाति सक्सेना

Abstract

आज के बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य में युवाओं का सतत विकास केवल औपचारिक शिक्षा तक सीमित नहीं रह गया है। जीवनभर सीखने की अवधारणा अब एक अनिवार्यता बन चुकी है। आजीवन शिक्षा को जीवन भर की जाने वाली सभी सीखने की गतिविधि के रूप में परिभाषित किया गया है जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत नागरिक सामाजिक और रोजगार संबंधी परिप्रेक्ष्य में ज्ञान कौशल और क्षमताओं में सुधार करना है। आजीवन शिक्षा समग्र शिक्षा पर केंद्रित है और इसके दो आयम है सीखने के लिए आजीवन और व्यापक विकल्प । यह सीखने को इंगित करते हैं जो पारंपरिक शिक्षा प्रस्ताव और आधुनिक सीखने के अवसरों को एकीकृत करता है इसमें लोगों को या सीखने के लिए प्रोत्साहित करने पर भी जोड़ दिया आजीवन शिक्षा ज्ञान और अधिग्रहण की एक अलग अवधारणा पर आधारित हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस दिशा में एक दूरदर्शी प्रयास है, जो युवाओं को जीवन के हर चरण में सीखने के लिए प्रेरित करती है। यह शोधपत्र आजीवन शिक्षा की अवधारणा, उसकी आवश्यकता, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इसके समावेशन का विश्लेषण करता है।
कुंजी शब्द. सतत विकास, आजीवन शिक्षा का महत्व, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

Additional Files

Published

30-04-2025

How to Cite

कोमल भारती, प्रोफेसर स्वाति सक्सेना. (2025). युवाओं के सतत विकास के लिए आजीवन शिक्षा का महत्वः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(04), 361–369. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/953

Issue

Section

Research Paper