स्त्री शरीर का विमर्श और उत्तर आधुनिक बाजार

Authors

  • डॉ. आशुतोष कुमार राय

Abstract

विमर्श तकनीकी अर्थों में मूल बल इस बात पर देता है कि स्त्री, पुरुष वर्चस्व से मुक्त होकर पुरुषों के बराबर राष्ट्रीय और सामाजिक विकास में अपनी भूमिका निर्धारित करने के लिए शक्ति संपन्न हो सकें। जहां तक उत्तर आधुनिकता की बात है वह किसी भी नैतिकता दृअनैतिकता, वास्तविकता-मिथ्या, ऐतिहासिकता दृअनैतिहासिकता, सुरुचि - कुरूचि , कुरूपता- रूपता जैसे विभाजक अंतरालों को समाप्त कर देता है। जहां मूल्य बोध एक शब्द मात्र बनकर रह जाता है। उत्तर आधुनिकता हर चीज को पाठ मानकर उसकी व्याख्या पाठक केंद्रित कर देती है, अर्थात हर रचना एक पाठ है और उसका वही अर्थ नहीं होता जो उसमें है, बल्कि वह हर पाठक के निजी अनुभवों, परिस्थितियों, सोच और स्तर के हिसाब से बदलती जाती है।उत्तर आधुनिक तर्कों, निष्कर्षों को व्यावहारिक और व्यापक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ने निभाई है। सैटेलाइट चौनलों ने जो उपभोक्तावादी संस्कृति रची है, वह इसी उत्तर पूंजीवादी रणनीति का हिस्सा है। सूचना क्रांति ने पूरी दुनिया को ही एक उपभोक्ता वर्ग में बदल दिया, इसलिए विभिन्न देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए इस उपभोक्ता वर्ग को अपने अपने उत्पादों की खरीदने के लिए प्रेरित करना आवश्यक हो गया। इस प्रतिद्वंदिता में यह कंपनियां अपने उत्पादों के अधिकाधिक पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए विज्ञापन तंत्र का सहारा लेती हैं और विज्ञापन तंत्र का सबसे बड़ा हथियार है -स्त्री देह।
इस विज्ञापन तंत्र द्वारा स्त्री देह को बाजार की हर वस्तु का मानदंड बनाने के पीछे दो कारण हैं। एक तो यह कि इससे स्त्रियों को तथाकथित प्रोग्रेसिव, बोल्ड और बिंदास होने का छद्म आभास करा पाता है और दूसरे वह पुरुष के लिए सनसनाहट पैदा कर उत्तेजित आनंद देने वाली हो जाती है। चूँकि वर्जित फल को चखने की कल्पना ही उत्तेजना पूर्ण आनंद से भर देती है अतः स्वाभाविक ही है कि पुरुष उस उत्पाद की तरफ आकर्षित हो। इस प्रक्रिया में स्त्री देह का उन्मुक्त प्रदर्शन लगातार जारी रहता है। स्त्री विमर्श का देह विमर्श तक सिमट जाना एक खतरनाक और भयावह स्थिति को जन्म देता है जिसके लिए उत्तर आधुनिक बाजार हमेशा प्रयत्नशील है। इसलिए स्त्री विमर्श जो अपने मूल में एक समाजशास्त्रीय विमर्श है, को बाजार के कब्जे से स्वयं को मुक्त कर सजग रूप से बाजार का उपयोग स्त्री मुक्ति के अन्य मोर्चों पर फतह हासिल करने के लिए सीखना होगा।
बीज शब्द - उत्तर आधुनिकता, उत्तर पूंजीवाद, स्त्री विमर्श, देह विमर्श, मूल्यबोध, संस्कृति बोध ।

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Published

31-10-2022

How to Cite

डॉ. आशुतोष कुमार राय. (2022). स्त्री शरीर का विमर्श और उत्तर आधुनिक बाजार. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 1(10), 1–8. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/97

Issue

Section

Research Paper