दलित-विमर्श : स्वानुभूति बनाम सहानुभूति का सवाल
Abstract
हिन्दी में दलित साहित्य तेजी से उभरती हुई एकधारा है जिसने पूरे हिन्दी साहित्य के पाठ और समझ को नए सिरे से देखने के लिए मजबूर कर दिया है। लेकिन दलित साहित्य को लेकर कई विवाद भी उठ खड़े हुए हैं। इसके अन्तर्वस्तु और स्वरूप एवं रचनाकारों को लेकर में एक बहस चल रही है।
विषय संकेतः- दलित साहित्यकार, कथा साहित्य, गैरदलितएवं दलित-विमर्श।
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Published
30-11-2022
How to Cite
दिग्विजय कुमार राय. (2022). दलित-विमर्श : स्वानुभूति बनाम सहानुभूति का सवाल. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 1(11), 33–38. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/192
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Research Paper
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