सुभद्रा कुमारी चौहान के कथा साहित्य में स्त्रीमुक्ति की आहट और मानवीय संवेदना
Abstract
जीवन को जिया था, जो माहौल उन्होंने अपने इर्द-गिर्द पाया था, समाज की जिन रूढ़ियों के विरुद्ध उनका संघर्ष था और जो भाव उन्हें उद्वेलित कर देते थे, वही उनकी कहानी बन जाते थे, कहानी लिखने के लिए कभी सुभद्रा जी ने अलग से विषय लाने के लिए सोचा हो ऐसा उनकी कहानियों को पढ़कर नहीं लगता। सुभद्रा जी की कहानियाँ भी उनके व्यक्तित्व की भाँति स्पष्ट और दो टूक होती थीं, छलावे प्रपंच से दूर, सच के धागों से बुनी हुई । ’’उनकी कहानियों में उनकी स्पष्टवादिता और सटीक भाषा में उनका स्त्रीवादी विचार इतना पारदर्शी है कि उसे किसी समीक्षक के विश्लेषण की आवश्यकता नही’’
Keywords- सुभद्रा कुमारी चौहान , कथा साहित्य, स्त्रीमुक्ति की आहट और मानवीय संवेदना
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