आधुनिक युग के कबीर- सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Authors

  • डॉ0 मंजुला श्रीवास्तव

Abstract

हिन्दी साहित्य के विकास में भक्तिकाल एवं छायावाद का काल स्वर्णकाल माना गया है। हिन्दी साहित्य के विकास में भक्तिकाल से लेकर आधुनिक काल तक सभी कालों में साहित्य लेखन अपनी एक विशिष्टता लिये हुई थी। जहां रीतिकाल में कलात्मकता है तो छायावाद में सूक्ष्मता, प्रगतिवाद में सीधे-सीधे कहना एवं प्रयोगवाद में नये-नये प्रयोग करना उसकी विशेषताएं रही है। जब भक्तिकाल की चर्चा करते हैं तो इस काल को स्वर्णकाल बनाने में निर्गुण शाखा के प्रमुख कवि संत कबीर का नाम सर्वप्रमुख आता है। इसी प्रकार छायावाद के चार स्तम्भों में सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला का नाम प्रमुखता के साथ लिया जाता है। संत कबीर एवं निराला के मध्य समय का व्यापक अंतराल है तथापि दोनों में पर्याप्त समानतायें हैं। दोनो अपने काल के प्रतिनिधि होकर भी एक समान हैं।
बीज शब्द:-कबीर, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, हिंदी साहित्य, भक्तिकाल, छायावाद, स्वर्णयुग, निर्गुण ब्रम्ह।

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Published

30-06-2025

How to Cite

डॉ0 मंजुला श्रीवास्तव. (2025). आधुनिक युग के कबीर- सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(06), 165–171. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/911

Issue

Section

Research Paper