अनुसंधान के क्षेत्र में बौद्ध शिक्षाओं का योगदान

Authors

  • निरूपमा सिंह

Abstract

बौद्ध शिक्षाओं ने अनुसंधान के क्षेत्र में गहन योगदान दिया है। बौद्ध दर्शन का मूल आधार है, प्रत्यक्ष अनुभव, तार्किक चिंतन, विश्लेषण और सतत प्रश्नाकुलता। यह दृष्टिकोण शोध की वैज्ञानिक पद्धति से अत्यंत मेल खाता है। ‘प्रज्ञा’, ‘सम्यक दृष्टि’ और ‘अनित्यता’ जैसे सिद्धांतों ने जिज्ञासा और वस्तुनिष्ठता की दिशा में मार्ग प्रशस्त किया। अनुसंधान के क्षेत्र में बौद्ध शिक्षाओं का योगदान तीन स्तरों पर देखा जा सकता है- (1) ज्ञानमीमांसीय स्तर- जिसमें प्रत्यक्ष (प्रत्यक्षा) और तर्क (अनुमान) के महत्व को रेखांकित किया गया, (2) पद्धतिगत स्तर- जिसमें सत्य की खोज के लिए निरंतर परीक्षण, तर्क-वितर्क और अनुभूत सत्य पर बल दिया गया, और (3) नैतिक स्तर- जिसमें अनुसंधान के दौरान अहिंसा, करुणा और निस्वार्थ भाव को बनाए रखने की प्रेरणा दी गई। आधुनिक अनुसंधान पद्धतियों जैसे एम्पिरिकल स्टडी, हाइपोथीसिस टेस्टिंग तथा क्रिटिकल थिंकिंग में बौद्ध दृष्टिकोण की गहरी छाप मिलती है। अतः बौद्ध शिक्षाएँ केवल आध्यात्मिक साधना तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने ज्ञान की खोज और वैज्ञानिक अन्वेषण की प्रक्रिया को भी नई दिशा प्रदान की।
मुख्य शब्द- बौद्ध दर्शन, अनुसंधान, प्रत्यक्ष अनुभव, तार्किक चिंतन, अनित्यता, प्रज्ञा, सम्यक दृष्टि, वैज्ञानिक पद्धति, ज्ञानमीमांसा, करुणा।

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Published

30-08-2025

How to Cite

निरूपमा सिंह. (2025). अनुसंधान के क्षेत्र में बौद्ध शिक्षाओं का योगदान. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(08), 17–22. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/891

Issue

Section

Research Paper