न्यायिक सक्रियता एवं श्रमिक कल्याण
Abstract
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 विचाराधीन के लिए भी इस तरह से लागू होता है जिस तरह से अन्य स्वतंत्र व्यक्तियों के लिए, संविधान का प्रत्येक प्रावधान चाहे वह मतदान का अधिकार हो या गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अच्छा स्वास्थ्य शिक्षा या अन्य कोई अधिकार सभी को समान रूप से उक्त अधिकारों के उपभोग का अधिकार है सामान्य व्यक्तियों की तरह ही विचाराधीन कैदी भी अपने शिक्षा पूरी कर सकते हैं अच्छा स्वास्थ्य रख सकते हैं तथा उन्हें जल्द सुनवाई का भी अधिकार प्रदान किया गया है कारावास के दौरान उनके साथ किसी भी प्रकार का शोषण नहीं किया जा सकता ऐसी स्थिति में समय-समय पर न्यायालय ने विभिन्न जनहित याचिकाओं के माध्यम से ऐसे निर्णय सुनाए हैं जिन्होंने विचाराधीन कैदियों की स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसकी शुरुआत बिहार के हुसैनआरा खातून बनाम गृह सचिव बिहार राज्य वाद से हुई हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को मत देने का अधिकार भी प्रदान किया इससे एक विचाराधीन कैदी भी अन्य नागरिकों की तरह ही सरकार को चुनने में अपनी भूमिका निभा सकेगा ऐसे ही कुछ मामलों का वर्णन इस अध्याय के अंतर्गत किया जा रहा है जिनसे विचाराधीन कैदियों के समाजीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ है और उन्हें एक उत्तम जीवन शैली अपने में मदद मिली है।
मुख्य शब्द- भारतीय संविधान, विभिन्न अनुच्छेद, न्यायिक सक्रियता एवं श्रमिक कल्याण।
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