भारत अमेरिका परमाणु संबन्धः परमाणु करार 123 एवं भारतीय विदेश नीति

Authors

  • डॉ0 अरविंन्द कुमार शुक्ल

Abstract

अमेरिका लंबे समय से भारत को गुटनिरपेक्ष खेमे (गुटनिरपेक्ष आंदोलन) का नेता मानता रहा और यह मानता था कि वह न्ैत् की ओर तथा बाद में रूस की ओर रुख कर रहा है। भारत ने अपने अधिकांश हथियार रूस से खरीदे और उसके पास समाजवादी आर्थिक शासन था। शीत युद्ध के दौरान और उसके बाद के वर्षों में अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान की ओर रहा। हालाँकि चीन के उदय के बाद जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन (न्ै) ने भारत को पश्चिम के खेमे में शामिल करने और चीन को नियंत्रित करने में मदद के लिये इसे आकर्षित करने का फैसला किया। इसलिये अमेरिका ने भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी और यूरेनियम तक पहुँच की पेशकश की, वह ईंधन जो उसके परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के लिये आवश्यक था। तब भारत सरकार 123 समझौते (यू.एस.-भारत असैनिक परमाणु समझौत 123) पर हस्ताक्षर करने के लिये सहमत हुई।
शब्द संक्षेप- भारत, अमेरिका, परमाणु संबन्ध, परमाणु करार, एवं भारतीय विदेश नीति।

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Published

28-02-2023

How to Cite

डॉ0 अरविंन्द कुमार शुक्ल. (2023). भारत अमेरिका परमाणु संबन्धः परमाणु करार 123 एवं भारतीय विदेश नीति . Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 1(02), 1–6. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/266

Issue

Section

Research Paper

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