लोक कल्याणकारी राज्य और उसकी चुनौतियाँ

Authors

  • डा0 सदगुरु पुष्पम

Abstract

लोक कल्याणकारी राज्य की धारणा एक ऐसे राज्य की और उद्देश्य की पहचान कराती है जो जनता की जीवन की सुरक्षा, योग्यता, और न्याय जीवन स्तर को सुनिश्चित करने की कोशिश करता है। यह शोधपत्र लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा, विकास, सैद्धांतिक पक्ष और चुनौतियों का विश्लेषण करता है। भारत जैसे विकासशील देश में इसकी प्रासंगिकता, सीमाएँ और संभावनाएँ अधिक व्यापक और जटिल हैं। वर्तमान युग में, वैश्वीकरण, निजीकरण, भ्रष्टाचार, संसाधनों की कमी, तथा राजनीतिक इच्छाशक्ति की दुर्बलता जैसे अनेक कारकों ने लोक कल्याणकारी राज्य के स्वरूप को प्रभावित किया है। इस शोधपत्र में न केवल इन चुनौतियों का गहन अध्ययन किया गया है, बल्कि संभावित समाधान भी प्रस्तुत किए गए हैं जो राज्य की भूमिका को अधिक उत्तरदायी एवं प्रभावी बना सकते हैं।
कीवर्ड- लोक कल्याणकारी राज्य, सामाजिक न्याय, सार्वजनिक नीति, राज्य की भूमिका, वैश्वीकरण, निजीकरण, सामाजिक सुरक्षा, प्रशासनिक चुनौतियाँ, समानता, लोकतंत्र

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Published

31-08-2023

How to Cite

डा0 सदगुरु पुष्पम. (2023). लोक कल्याणकारी राज्य और उसकी चुनौतियाँ. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 2(08), 120–127. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/649

Issue

Section

Research Paper

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