जनआंदोलन और सामाजिक परिवर्तन

Authors

  • डा0 सदगुरु पुष्पम

Abstract

जनआंदोलन सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख वाहक होते हैं। यह शोध पत्र जनआंदोलन की अवधारणा, इसकी उत्पत्ति, विकास और समाज पर इसके प्रभावों का विश्लेषण करता है। साथ ही, ऐतिहासिक और समकालीन जनआंदोलनों का अध्ययन करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि किस प्रकार ये आंदोलन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संरचनाओं को प्रभावित करते हैं। यह अध्ययन विभिन्न सिद्धांतों, केस स्टडी और वास्तविक घटनाओं के आधार पर जनआंदोलन और सामाजिक परिवर्तन के बीच गहरे संबंध को रेखांकित करता है।
इस शोध में विभिन्न ऐतिहासिक जनआंदोलनों जैसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, महिला सशक्तिकरण आंदोलन, दलित आंदोलन, पर्यावरणीय आंदोलन और औद्योगिक क्रांति के प्रभावों का गहन अध्ययन किया गया है। इसके अतिरिक्त, समकालीन जनआंदोलनों जैसे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, नागरिक अधिकार आंदोलन, किसान आंदोलन, जलवायु परिवर्तन आंदोलन, और डिजिटल एवं सोशल मीडिया आधारित आंदोलनों की भूमिका को भी विश्लेषणात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया है।
जनआंदोलन केवल विरोध और प्रतिरोध के साधन ही नहीं होते, बल्कि वे समाज में विधायी सुधार, सांस्कृतिक बदलाव और नीति-निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस शोध के निष्कर्षों से स्पष्ट होता है कि प्रभावी जनआंदोलन लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करते हैं और सामाजिक असमानताओं को कम करने में सहायक होते हैं।
कीवर्ड- जनआंदोलन, सामाजिक परिवर्तन, राजनीतिक आंदोलन, क्रांति, समाजशास्त्र, लोकतंत्र, असमानता, मानवाधिकार, प्रतिरोध, सक्रियता।

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Published

30-11-2022

How to Cite

डा0 सदगुरु पुष्पम. (2022). जनआंदोलन और सामाजिक परिवर्तन. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 1(11), 75–85. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/650

Issue

Section

Research Paper

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