राजनीति में सहिष्णुता और संवाद की संस्कृति

Authors

  • डा0 सदगुरु पुष्पम

Abstract

लोकतांत्रिक राजनीति का आधार संवाद, सहमति और सहिष्णुता है। भारत जैसे बहुलतावादी समाज में जब तक राजनीतिक दल, विचारधाराएँ और नागरिक समाज के घटक एक-दूसरे के मतों का आदर नहीं करते, तब तक लोकतांत्रिक परंपराएं सुदृढ़ नहीं हो सकतीं। यह शोधपत्र राजनीति में सहिष्णुता के घटते स्तर, संवादहीनता की बढ़ती प्रवृत्ति और उसके सामाजिकदृराजनीतिक प्रभावों का विश्लेषण करता है। साथ ही, यह सिद्ध करता है कि सहिष्णुता और संवाद की संस्कृति किसी भी लोकतंत्र की आत्मा है, और इनके बिना राजनीति सिर्फ टकराव का मंच बनकर रह जाती है। यह अध्ययन ऐतिहासिक, वैचारिक और समकालीन दृष्टियों से राजनीति में सहिष्णुता और संवाद की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
कीवर्ड- सहिष्णुता, संवाद, लोकतंत्र, राजनीतिक संवाद, असहमति, राजनीतिक संस्कृति, बहुलवाद, असहिष्णुता, वैचारिक विविधता, राजनीतिक नैतिकता

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Published

31-03-2025

How to Cite

डा0 सदगुरु पुष्पम. (2025). राजनीति में सहिष्णुता और संवाद की संस्कृति. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(03), 116–126. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/839

Issue

Section

Research Paper