भारत में धर्मनिरपेक्षता का व्यावहारिक पक्ष- एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors

  • डा0 सदगुरु पुष्पम

Abstract

भारत एक विविधतापूर्ण देश है जहाँ अनेक धर्म, सम्प्रदाय, जातियाँ और भाषाएँ सह-अस्तित्व में हैं। भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता को एक मौलिक सिद्धांत के रूप में स्वीकार करता है, जो राज्य और धर्म के बीच स्पष्ट भेद की अवधारणा पर आधारित है। परंतु व्यवहारिक धरातल पर यह सिद्धांत अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। यह शोध पत्र भारतीय धर्मनिरपेक्षता के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्षों की गहन पड़ताल करता है। इसमें ऐतिहासिक, संवैधानिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोणों से धर्मनिरपेक्षता के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया गया है। साथ ही यह शोध वर्तमान परिप्रेक्ष्य में धार्मिक सहिष्णुता, सांप्रदायिकता, चुनावी राजनीति, तथा न्यायपालिका की भूमिका को भी विवेचित करता है।
कीवर्ड्स- धर्मनिरपेक्षता, भारतीय संविधान, सांप्रदायिकता, धार्मिक सहिष्णुता, सामाजिक न्याय, अल्पसंख्यक अधिकार, राज्य और धर्म, चुनावी राजनीति, न्यायपालिका

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Published

30-04-2025

How to Cite

डा0 सदगुरु पुष्पम. (2025). भारत में धर्मनिरपेक्षता का व्यावहारिक पक्ष- एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. Ldealistic Journal of Advanced Research in Progressive Spectrums (IJARPS) eISSN– 2583-6986, 4(04), 347–360. Retrieved from https://journal.ijarps.org/index.php/IJARPS/article/view/840

Issue

Section

Research Paper