हिंदी साहित्य में आत्मकथा लेखन की परंपरा
Abstract
हिंदी साहित्य में आत्मकथा लेखन एक सशक्त साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित हो चुका है। आत्मकथा व्यक्ति के जीवनानुभवों, संघर्षों और समाज से उसके संबंधों की एक सचित्र झलक प्रदान करती है। यह न केवल व्यक्ति की आत्माभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि समाज, राजनीति, संस्कृति, जातीयता, स्त्री-अनुभव और संवेदनाओं को भी प्रतिबिंबित करती है। यह शोध-पत्र आत्मकथा लेखन की परंपरा को ऐतिहासिक, सामाजिक, साहित्यिक और विमर्शात्मक परिप्रेक्ष्य में विश्लेषित करता है। साथ ही, प्रमुख हिंदी आत्मकथाकारों की कृतियों का अध्ययन कर आत्मकथा लेखन की विविध प्रवृत्तियों, शैलीगत विशेषताओं और विकासक्रम को प्रस्तुत करता है।
कीवर्ड- हिंदी साहित्य, आत्मकथा, आत्माभिव्यक्ति, दलित आत्मकथा, स्त्री आत्मकथा, साहित्यिक परंपरा, अनुभव, यथार्थवाद
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